यह इतिहास में पहली बार हो रहा है कि पूर्वोत्तर राज्य से कोई व्यक्ति न्यायपालिका का मुखिया होगा। जी हाँ गम्भीर, अनुशासनप्रिय, मितभाषी जस्टिस रंजन गोगोई अब से न्यायपालिका के नए मुखिया होंगे। बुधवार को वह देश के नए मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ लेंगे। जस्टिस रंजन गोगोई को व्यवस्थित रहना और सभी चीज़ों को करीने से रखना पसंद है। इनसे न्यायपालिका को बहुत ज़्यादा उम्मीदें हैं। बता दें अदालतों में पहले से ही लगा करोड़ों मुक़दमों का ढेर और न्यायधीशों के ख़ाली पड़े पद जस्टिस रंजन गोगोई के लिए बड़ी चुनौती बनने वाले हैं।
देशभर की अदालतों में लम्बित पड़े हैं 2.77 करोड़ मुकदमें:
जानकारी के अनुसार उन्होंने पद सम्भालने से पहले ही एक बयान में इस तरफ़ चिंता जताते हुए मुक़दमों का बोझ ख़त्म करने के लिए कारगर योजना लागू करने का संकेत दिया है, जो न्यायपालिका के उज्ज्वल और सकारात्मक भविष्य की तरफ़ इशारा करता है। बता दें जस्टिस रंजन गोगोई बुधवार को जस्टिस संजय किशन क़ौल और जस्टिस केएम जोसेफ़ के साथ मुख्य न्यायधीश की अदालत में मुक़दमों की सुनवाई करने बैठेंगे। पहले दिन भले ही उनकी अदालत में सुनवाई के लिए कम मुक़दमें लगे हों, लेकिन देशभर की अदालतों में लम्बित 2.77 करोड़ मुकदमें नये मुखिया की नयी योजना का इंतजार उनके शपथ लेते ही शुरु कर देंगे।
14 महीनों तक रहेंगे देश के मुख्य न्यायधीश:
आपकी जानकारी के लिए बता दें, इन मुकदमों में 13.97 लाख मुकदमें वरिष्ठ नागरिकों के हैं और 28.48 लाख मुकदमें महिलाओं ने दाखिल कर रखे हैं। इतना ही नहीं उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट मे लंबित 54000 मुकदमें भी अपने मुखिया की नयी कार्यप्रणाली और शीघ्र मुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार जस्टिस रंजन गोगोई भारत में मुख्य न्यायधीश के तौर पर लगभग 14 महीनों तक रहने वाले हैं। रंजन गोगोई भारत के मुख्य न्यायधीश के पद पर 17 नवम्बर 2019 तक रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट मे न्यायाधीशों के कुल 31 मंजूर पद हैं जिसमे से अभी 25 न्यायाधीश काम कर रहे हैं।
ख़ाली हैं उच्च न्यायालयों में जजों के 427 पद:
जस्टिस दीपक मिश्रा के सेवानिवृत होने के बाद यह संख्या घट कर 24 रह जाएगी। जस्टिस गोगोई के कार्यकाल में पांच और न्यायाधीश सेवानिवृत होंगे और सुप्रीम कोर्ट की कुल रिक्तियां 11 हो जाएंगी। उच्च न्यायालयों में भी जजों के 427 पद रिक्त हैं। न्यायाधीशों के खाली पड़े पद और अदालतों में ढांचागत संसाधनों की कमी भी मुकदमों के ढेर का एक बड़ा कारण है। इन सभी पहलुओं को देखना होगा। अगर हम जस्टिस गोगोई के कुछ फैसलों पर निगाह डालें तो उन्होंने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास देने का नियम रद कर दिया था और सभी पूर्व मुख्य मंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया था।
केवल प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के फोटो छापने की दी इजाजत:
इसके अलावा सरकारी विज्ञापनों में ज्यादा से ज्यादा मंत्रियों और नेताओं की फोटो छपने का चलन भी जस्टिस गोगोई के फैसले से खत्म हुआ है। उन्होंने सरकारी विज्ञापनों में सिर्फ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के फोटो छापने की इजाजत दी है। हालांकि बाद मे राज्यपाल और संबंधित मंत्री की फोटो को भी इजाजत दे दी गई, लेकिन थोक में नेताओं की फोटो छपना बंद हो गया। जस्टिस गोगोई की चर्चा हो और सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व न्यायाधीश मार्कन्डेय काटजू का प्रकरण ना याद किया जाए तो बात अधूरी रह जाती है।
आसाम के रहने वाले हैं जस्टिस रंजन गोगोई:
सौम्या हत्याकांड में जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ के फैसले पर जस्टिस काटजू ने आलोचनात्मक टिप्पणियां की थीं जिस पर जस्टिस गोगोई ने जस्टिस काटजू को नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट में तलब कर लिया था। हाईकोर्ट के जज जस्टिस कर्नन को न्यायालय की अवमानना में जेल भेजने वाली पीठ में जस्टिस गोगोई भी शामिल थे। मूलत: असम के रहने वाले जस्टिस गोगोई की पीठ ही असम एनआरसी केस की सुनवाई भी कर रही है।
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